7,280 करोड़ की दुर्लभ खनिज योजना से घटेगी चीन पर निर्भरता
केंद्रीय कैंबिनेट ने दी मंजूरी: भारत वैश्विक बाजार में होगा स्थापित
नई दिल्ली। केन्द्र सरकार के दुर्लभ चुंबकीय के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 7,280 करोड़ रूपये की प्रोत्साहन योजना को मंजूरयी दी है। इस पहल का मकसद देशों में प्रतिवर्ष 6,000 टन रेयर आफ परमानेन्ट मैग्नेट (आरईपीएम) के विनिर्माण की क्षमता स्थापित करना है। इससे चीन पर निर्भरता कम होगी और भारत वैश्विक आरईपीएम बाजार में प्रमुख देश के रूप में स्थापित होगा।
प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुद्ववार को हुई केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक में एकीकृत (सिंटर्ड) आरईपीएम विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना को स्वीकृति दी गयी। केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि आरईपीएम सबसे मजबूत स्थायी चुंबकों में से एक है और इलेक्ट्रिक गाड़ियों, अक्षय ऊर्जा, इलेक्ट्रिानिक्स, एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र के लिए बहुत जरूरी है।
वैष्णव ने कहा, उत्पादन क्षमता बढ़ने के साथ भारत तीन-चार वर्षों में दुर्लभ पृथ्वी चुम्बकों के मामले में आत्मनिर्भर हो जायेगा। योजना एकृकत विनिर्माण सुविधाओं के सृजन में मदद करेगी, जिसमें दुर्लभ पृथ्वी आँक्साइइ को धातुओं में, धातुओं को मिश्रधातुओं में और मिश्रधातुओं को तैयार चुम्बकों में बदलना शमिल हैै। इसमें वैश्विक प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के जरिये देश में 1,200 टन क्षमता के पाँच संयत्र स्थापित किये जायेगें।
पूंजीगत सहायता भी शामिल
योजना में पाँच वर्षों के लिए आरईपीएम बिक्री पर 6,450 करोड़ रूपये का प्रोत्साहन और प्रतिवर्ष 6,000टन क्षमता को आरईपीएम विनिर्माण इकाइयाँ स्थापित करने के लिए 250 करोड़ रूपये की पंूजीगत सहायता दोनों शामिल है।
ऐतिहासिक पहल
भारत के उच्च तकनीकी विनिर्माण क्षेत्र में ऐतिहासिक पहल। मंत्रिमण्डल ने आरईपीएम के निर्माण के लिए भारत का पहला एकीकृत पारिस्थतिकी तन्त्र स्थापित करने की योजना को मंजूरी दे दी है। इस पहल का मकसद घरेलू क्षमतायें विकसित करना और आयात कम करना है। यह हरित प्रौद्योगिकियों पर भी केन्द्रित है।
बर्खास्तगी रद्द तो वेतन के लिए काम नहीं तो दाम नहीं का सिद्वान्त लागू नहीं: हाईकोर्ट
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस ड्राइवर की बर्खास्तगी के दौरान काम नहीं तो दाम नहीं के सिद्वान्त के आधार पर मैनपुरी के एसपी के वेतन भुगतान पर रोक लगाने के आदेश को अवैध करार देते हुए रद्र कर दिया है।
साथ ही न्यायमूर्ति विकास बुधवार को एकल पीठ ने बहाली के बाद याची जगदीश को सेवाजनित सभी परिलाभी के सम्बन्ध में पुलिस विभाग को दो माह में आदेश पारित करने के निर्देश दिया है।
याची पुलिस विभाग में जिप्सी ड्राइवर था और उसकी वीवीआईपी में डयूटी लगी थी। सितम्बर 2001 को जिप्सी थाने में खड़ी करके किसी काम से बाहर गया और लौटकर आया तो जिप्सी थाने में नहीं थी। जाँच के बाद एसपी ने उसे बर्खास्त कर दिया। इस फैसले को याची ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी व अपील आदेश प्रक्रिया का पालन नहीं होने के कारण रद्द कर बहाली आदेश दिया। इसके बाद बर्खास्तगी के दौरान का वेतन रोकने को आदेश दिया गया।
इसके खिलाफ वर्तमान याचिका दायर की। अधिवक्ता ने दलील दी कि विभाग ने गलत बर्खास्तगी आदेश से याची को काम करने से रोका और अपनी ही गलती पर उसके वेतन को भी काम नहीं तो दाम नहीं के सिद्वान्त पर रोका है। यह विधि विरूद्व है।


