आपरेशन सिंदुर नागरिक और सैन्य एकीकरण का उदाहरण : राजनाथ

आपरेशन सिंदुर नागरिक और सैन्य एकीकरण का उदाहरण : राजनाथ
     सिविल सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को रक्षा मंत्री ने दी नसीहत
नई दिल्ली/मसूरी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर नागरिक-सैन्य एकीकरण का एक शानदार उदाहरण है, जहाँ प्रशासनिक मशीनरी ने महत्वपूर्ण सूचनाओं के संचार और जनता का विश्वास बनाने के लिए सशस्त्र बलों के साथ मिलकर काम किया।
रक्षा मंत्री मसूरी की लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में 100वें फाउंडेशन कोर्स के समापन में अधिकारी प्रशिक्षुओं को सम्बोधित कर रहे थे। राजनाथ सिंह ने कहा, ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के रवैये ने सीमा पर स्थिति सामान्य नहीं रहने दी। इस दौरान देशभर में मॉक ड्रिल्स हुई। हमारे प्रशासनिक अधिकारियों ने जनता तक इसे कामयाब ढंग से पहुंचाया। यह आप सबके लोकसेवक होने का एक नायाब उदाहरण है। आपको भविष्य में ऐसी किसी भी स्थिति के लिए स्वयं को मानसिक रूप से तैयार रहना है।
राजनाथ ने अधिकारी प्रशिक्षओं से कहा, बतौर सिविल सेवक समाज के वंचित या कमजोर बर्गों के प्रति आपको सहानुभूतिपूर्ण व दयालु नजरिया रहना चाहियेे। क्योंकि उनकी मौजूदा स्थिति, केवल उनकी क्षमता या मेहनत का का प्रतिबिंब नहीं है। इसके पीछे अनेक सामाजिक, आर्थिक व परिस्थितिजन्य कारण होते हैं। उन्होनें बताया कि यूपीएससी और एलबीएसएनएए के बीच साक्षेदारी ने प्रशासकों की पीढ़ियों को आकार दिया है और यह भारत के शासन ढ़ांचे को मजबूत करती रहेगी। सिंह ने पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री और भारत के लौह पूरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमाओं पर पुष्पाजंली भी अर्पित की। मंत्रालय ने बताया कि उन्होेंने अकादमी परिसर में एक ओडीओपी मंडप का भी उद्दघाटन किया।
        सत्ता  केवल कमजोर को करती है भ्रष्ट
राजनाथ ने कहा, आपको इस अकादमी के ध्येय वाक्य ”शील परम भूषरम को चरितार्थ करना होगा। अक्सर यह माना जाता है कि सत्ता  भ्रष्ट करती है, लेकिन मेरा मानना है कि सत्ता  केवल कमजोर को भ्रष्ट करती है। मजबूत लोग सत्ता का उपयोग दूसरों के भलाई के लिए करते हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि हमें एसे सिविल सेवकों की जरूरत है जो सिर्फ बदलाव लाने की बात न करें, बल्कि इसके लिए निरंतर प्रयास भी करें। इसलिए आज हमें नैतिक महत्वाकांक्षा वाले अधिकारी चाहिए। उन्होंने भावी अधिकारियों से कहा कि वे स्वयं को नौकरशाही नहीं, लोकसेवक मानें।
        राष्ट्रीय हितों की रक्षा में नौसेना की निर्णायक भूमिका: सीडीएस
कन्नूर। रक्षा प्रमुख जनरल अनिल चौहान ने शनिवार को केरल के एझिमाला स्थित भारतीय नौसेना अकादमी में पासिंग आउट परेड में कहा कि भारतीय नौसेना भारत की नियति को सुरक्षित करने में एक निर्णायक भूमिका निभायेगी। उन्होंने कहा कि देश को भविष्य सम्भवतः महासागरों में ही आकार लेगा और राष्ट्रीय हितों के सैन्य शक्ति के प्रयोग में नौसेना ने नए शामिल हुए नौसैनिक अधिकारियों से कहा कि अयोग्यता की कीमत जान से चुकानी पड़ती है। उन्हें पेशेवर उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होने कहा कि यह कोई विकल्प नहीं, बल्कि एक दायित्व है। उनका दृढ़ संकल्प होना चाहिए कि शांति के समय में वे पूरी तरह से तैयार रहें और युद्व में विजयी हों। सीडीएस ने बताया कि जहाँ पर सैन्य रणनीति भौगोलिक विचारों से प्रेरित थी, वहीं आज प्रोद्योगिकी ने भूगोल को पीछे छोड़ दिया है।
         परेड में कई देशों ने प्रशिक्षुओं ने लिया भाग
जनरल चौहान ने परेड का निरीक्षण किया। परेड में भारत के साथ-साथ बांग्लादेश, मालदीव, मोेजाम्बिक, म्यांमार, सेशेल्स, श्रीलंका और वियतनाम जैसे मित्र देशों ने भी हिस्सा लिया, जो भारत की मजबूत समुद्री साक्षेदारी को दर्शाता है।

About The Author

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
Scroll to Top